रविवार, 20 अगस्त 2017

गुर्जर इतिहासकार श्री इसम सिंह चौहान की गुर्जर समाज के नाम एक अपील

एक अपील �� गुर्जर समाज अपने इतिहास के महान शासकों को श्रद्धापूर्वक याद कर रहा है, यह एक शुभ संकेत है। निस्संदेह सम्राट मिहिरभोज का भारतीय इतिहास में कोई सानी नहीं है। वे सम्राट अशोक से भी महान थे। उनकी जयंती समारोह को हमें सोल्लास मिहिरोत्सव या राष्ट्रीय गुर्जर दिवस के रूप में मनाना चाहिए। जहां तक अंतरराष्ट्रीय गुर्जर दिवस की बात है वह भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में कनिष्क महान का राज्यरोहण दिवस के दिन 22 मार्च को मनाया जाता है क्योंकि सम्राट कनिष्क का साम्राज्य विश्व के अनेक देशों तक विस्तारित था। हमारे इन दोनों महान शासकों के बीच हमें विरोधाभास से बचना चाहिए। �� जय गुर्जर जय भारत �� आपका अपना �� इसम सिंह चौहान अध्यक्ष राष्ट्रीय गुर्जर इतिहास शोध, साहित्य एवं भाषा संस्थान।

सोमवार, 14 अगस्त 2017

क्रांति की मशाल जलती रहे: विजेंद्र कसाना एडवोकेट

साथियो जब वीर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजो को भगाया तब किसी प्रकार का संचार का सुगम साधन नही था! फिर भी उस क्रांति की प्रबलता ओर परिणाम विश्व विदीत है| कारण आज तक ढुढा जा रहा है| पर कारण कोई ओर नही सिर्फ जुल्म की पराकाष्टा था| आज आप के पास संचार के प्रबल माध्यम है जो हर शोषित तक पहुचने का सीधा माध्यम है| उस समय अंग्रेजो ने फासी चढ़ा कर लाखो क्रांतिकारी गुर्जरों को मारा आज स्वयं आर्थिक विषमता के कारण (किसान) आत्महत्या कर रहे है क्या आजाद भारत मे यह क्रम चलता रहेगा| क्या अब भी हम काले अंग्रेजो की रहनुमाई मे आशाओ के साथ जिते मरते रहेगे| नहि हा जो लम्बा-लम्बा लेख लिखते हे भाषण देते हे उन्हे थोडी पिडा़ होगी विजय आप के द्वार खडी है ईसे छुने भर से सारे कष्ट मिटजायेगे  आप की आबादी आप की ताकत ओर आप का सोना आप की कमजोरी

शनिवार, 5 अगस्त 2017

24अगस्त2017 को गुर्जर सम्राट मिहिरभोज जयन्ती को गुर्जर समाज मनाएगा मिहिरोत्सव के रूप में

*** मिहिरोत्सव***
24 अगस्त 2017 को गुर्जर सम्राट मिहिर भोज़ की जयंती को समस्त गुर्जर समाज एक उत्सव की तरह मनायेगा | जो लोग इसे जबरदस्ती 'अंतराष्ट्रीय गुर्जर दिवस' के रूप में रंगना चाहते है वे वास्तव में अपनी जिम्मेवारी को अपने अहम से ऊपर नहीं रख रहे है | जब 22 मार्च को अंतराष्ट्रीय गुर्जर दिवस मनाया जाता है तो एक सभ्य समाज को ये शोभा नहीं देता कि वह दूसरा ऐसा कोई दिवस मनाये |
ऐसे में समाज के हर गुर्जर का ये कर्तव्य बन जाता है कि महासभाओं की मनमानियों को नकार कर 'मिहिरोत्सव' मनाये |
जय गुर्जर, जय मिहिरभोज |
#24AugustMihirotsav

गुरुवार, 3 अगस्त 2017

असली गौ रक्षक और गोपालक गुर्जर है

The REAL "Gau Rakshaks" of Hindustan

MUSLIM VAN GUJJARS OF HIMACHAL PRADESH

Photo: Sanchari Pal

Muslim Van Gujjars of Himachal Pradesh ( different from Gaddis shepherds ) carrying an injured baby buffalo (calf) over Himalayan pass for treatment at nearest veterinary hospital.

बुधवार, 2 अगस्त 2017

1871 में अंग्रेजों ने देशभक्त गुर्जर समुदाय पर क्रिमिनल एक्ट लगाया- चौ. परवेज पंवार

गुर्जर और अपराधजीवि जनजाति (क्रिमिनल ट्राइब):-मुग़ल या गोरो के राज में जो जातियां इनके कामो में टांग अड़ाया करती थी या रोड़ा बनती थी ऐसी जातियां हमेशा से ही गोरे और मुग़लो के गले की फांसबनी रही । गुर्जर जो की एक क्षत्रिय जाती है, अपना गुजर बसर खेती बाड़ी और पशुपालन के द्वारा करती है साथ में कई सदियो से भारत के ही नही अपितु देश दुनिया के कई भागो पर अपना साम्राज्य स्थापित करने वाली गौरवशील जाती है । मिहिर कुल हूंण, राजा मिहिर भोज, सम्राट कनिष्क, नागभट्, आदि कई शूर वीर योद्धा इसी महान गुर्जर जाती से सम्बंधित थे । परंतु आज कई लोगो के द्वारा गुर्जरो पर कटाक्ष किया जाता है गुज्जर"चोर" है "डकैत" है या ये भी कह के गुर्जरो से घृणा कि जाति है की ये जाती तो असमाजिक है भैंसचोर है आदि आदि आइये देखे क्यों है ये जाती असमाजिक, चोर, या डैकत?अपराधजीवि जनजाति या विमुक्त जाती, ये एक ऐसा तमगा था जो ब्रिटिश सरकार ने उन जातियो को प्रदान किया जो देश भक्त थी जिन्होंने देश के लिए कुर्बानी दि जिन्होंने अपना सब कुछ त्याग कर देश के लिए बलिदान दिया, भारत के ब्रिटिश-राज के गवर्नर जनरल की अगुवाई में सन् 12 अक्टूबर 1871 में लागु किया गया criminal act जिसे बाद में स्वतन्त्र भारत की सरकार ने बदल के Hebitual Offenders Act 1952 में बदल दिया, 1871 criminal act सबसे पहले उत्तरी भारत में लागु किया गया बाद में 1876 में Bengal Presidency में लागू किया गया फिर 1911 में Madras Presidency और आखिर में 1924 में इस act कोसमूचे भारत में लागु कर दिया गया । इसके अधीन भारतीय मूल की वो जातिया या समूह जिनको चोर, डैकैत,विद्रोही जैसे संगीन और गैर जमानती जुर्म करने वाले कह के सम्भोदित किया गया जिनको सरकार ने बाकायदा सूचीबद्ध किया और क्योंकि ऐसे जातियो को अपराध् करने का आदि समझा गया, इसीलिए उनके आम तौर पर किये जाने वाले विचरण पर भी क़ानूनी प्रतिबन्ध लगाया गया और साथ ही इन जातियो से सम्बन्ध रखने वाले लोगो के वयस्क मर्दों को हफ्ते दर हफ्ते स्थानीय पुलिस चौकियों में हाजरी देने पर मजबूर किया गया।हास्यपद यहाँ ये बात भी है की ऐसी जातियो में जन्म लेने वाले बालक को भी जन्मजात अपराधी घोसित कर दिया जाता था।1883 में एक inquiry बैठाई गयी ये देखने के लिए की इस एक्ट में क्या तब्दीलियां करी जा सकती है और इसी फलस्वरूप 1887 के बदलाव में 4 से 18 साल तक के लड़को को अपने माँ बाप से दूर कर दिया जाता है क्योंकि वो पैदाइशी अपराधी है !!क्यों पड़ी ब्रिटिश सरकार को ऐसा कानून बनाने की ज़रूरत?गुज्जरों ने मुग़लो और ब्रिटिश सरकार के लगभग हर कदम का विरोध किया जिसवजह से उन्हें इस एक्ट का भुगतभोगी बनना पड़ा। 18वि शताब्दी में जब ब्रिटिश राज अपने पूर्ण वर्चस्व पर था, उस समय कई गुज्जर साम्राज् भी अपने शिखर पर थे, रोहिल्ला नवाब नजीब-उद्-दौला के समय में, गुर्जर दरगाह सिंह जिनके अधीन दादरी के 133 गाँव थे और जिनसे लगभग 29,000 रुपये लगान आता था जो वे अंग्रेजो को नहीं देते थे, मेरठ के राजा गुर्जर नैन सिंह का परीक्षितगढ़ का किले को 1857 में तोड़ दिया गया क्योंकि इसे अँगरेज़ पुलिस चौकी की तरह प्रयोग करना चाहते थे। इतिहास बताता है की 1857 के विद्रोह में गुज्जर ब्रिटिश सरकार के कट्टर विरोधी थे, 1857 के विद्रोह में एक विरोधी गुर्जर समूह ने 21 मई 1857 में बुलंदशहर में ब्रिटिश सरकार की सम्पति को काफी हानि पहुँचाई,1857 के विद्रोह में लुधियाना के मुस्लिम गुज्जरो ने ब्रिटिश सरकार का हर प्रकार से विरोध किया । उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गंगोह में जब अंग्रेजी सरकार ने अपनी रूचि दिखाई उसका भी गुज्जर क्रन्तिकारीयों ने जमकर विरोध किया, जिन्हें बाद में अंग्रेजी सरकार ने भारतीय मूल की कुछ अन्य जातियो के साथ मिलकर गुज्जर विद्रोहियों को खदेड़ दिया ।अंग्रेजी हुकूमत के दस्तावेज बताते है की किस तरह गुज्जर, सरकार और सरकारी सहयोगियों के हथियार, दस्तावेज, रुपया, घोड़े आदि चुरा लिया करते थे ताकि सरकार निर्मम लोगो पर अत्याचार न कर सके ओर सरकार कमजोर पड़ जाये।इन्ही सब की वजह से 1871 में criminal act लाया गया ताकि गुज्जरों की ब्रिटिश सरकार के खिलाफ की जाने वाली दबंगई को रोका जा सके, आज जो लोग गुज्जरों को खुले आम चोर डैकैत बोलते है वो जरा इसे पढ़कर सोचे की वो क्यों चोरी डकैती करते थे गुर्जर किसी भारतीय या गरीब के यहा चोरी डकैती नही करते थे गुर्जर विद्रोही अंग्रेज ओर उनके सैनिको के यहा लूट मार किया करते थे जिससे अंग्रेज कमजोर हो ओर विद्रोहियों को संघर्ष मे मदद मिल सके लेकिन इन सबको लोगो ने गलत पेश किया ओ

मंगलवार, 1 अगस्त 2017

वन्देमातरम हमारी राष्ट्रभक्ति का गान है: सुनील सत्यम

वन्देमातरम हमारा मज़हबी गान नही है,यह राष्ट्रभक्ति का गान है।
देश का बहुसंख्यक वर्ग छद्म-धर्मनिरपेक्षता की केंचुली से बाहर निकल रहा है,इसका श्रेय उन लोगों को है जो हर मुद्दे पर मज़हबी नज़रिए से नुक्ताचीनी करते हैं। ऐसा करने वाला व्यक्ति कभी "धर्मनिरपेक्ष" नही हो सकता है जो राजनीतिक,सामाजिक सभी मुद्दों पर मज़हबी नजरिये से प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।जो व्यक्ति वन्देमातरम सिर्फ इसलिए नही गाना चाहता है कि उसका मज़हब ऐसा करने की इजाज़त नही देता है,वह सेकुलर होने का सिर्फ ड्रामा मात्र कर सकता है!
हम वन्देमातरम इसलिए नही कहते हैं कि यह हमारे धर्म का कोई मूलमंत्र है,वरन इसलिए गाते है कि यह मातृभूमि के प्रति हमारा प्यार एवं लगाव प्रदर्शित करने की अदभुद अभिव्यक्ति है।
अक्सर वह लोग सेकुलर होने का ज्यादा ढोंग करते हौ जिन्हें इसकी अवधारणा का कोई ज्ञान नही है।
   #सुनील सत्यम